
प्रीति फाउंडेशन कोलकाता केस: एक गहरा जख्म
“मुश्किलों से लड़कर बनी थी डॉक्टर, क्या पता था अपने ही ‘दूसरे घर’ में नोचकर मार डालेंगे दरिंदे” – यह शीर्षक न केवल एक दर्दनाक कहानी को बयान करता है, बल्कि समाज के समक्ष सुरक्षा और न्याय की कमजोरियों को उजागर करता है। प्रीति फाउंडेशन कोलकाता केस ने एक युवा और प्रतिभाशाली डॉक्टर की नृशंस हत्या से सभी को झकझोर दिया है।
एक प्रतिभाशाली डॉक्टर की हत्या
डॉ मौमिता देबनाथ,की कहानी एक सामान्य लड़की की नहीं है। उसने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से डॉक्टर बनने का सपना पूरा किया था। वह उन गिनी-चुनी महिलाओं में से एक थी जो समाज के समक्ष एक प्रेरणा बनी। लेकिन, अफसोस कि एक वहशी दरिंदे ने उसकी जिंदगी को बेरहमी से छीन लिया। यह घटना न केवल डॉ मौमिता देबनाथ,के परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका है। इस हत्या ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रीति फाउंडेशन का योगदान
इस दुखद घटना के बाद, प्रीति फाउंडेशन ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए जाएं और इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जाएं। फाउंडेशन ने यह भी जोर दिया है कि डॉ मौमिता देबनाथ,की हत्या से जुड़े सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह के अपराध करने की हिम्मत न कर सके।
एक गहरा संदेश
प्रीति फाउंडेशन कोलकाता केस हमें यह याद दिलाता है कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति कितनी नाजुक है। हमें मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जहां महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने का पूरा अवसर मिले, बिना किसी डर के। डॉ मौमिता देबनाथ, की मौत एक बड़ा जख्म है, जिसे भरने के लिए समाज को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी और हर संभव प्रयास करना होगा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में दोबारा न हों।
इस घटना ने हम सभी को झकझोर कर रख दिया है। यह समय है कि हम सभी मिलकर महिलाओं की सुरक्षा और न्याय के लिए एकजुट हों और इस लड़ाई को आगे बढ़ाएं। प्रीति फाउंडेशन के इस संघर्ष में हम सब को उनका साथ देना चाहिए, ताकि डॉ मौमिता देबनाथ, जैसी और कोई बेटी अपनी जान न गंवाए।